पाक के नापाक मंसूबे


भारतीय नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तान का फायरिंग करना और सैनिकों का निर्दयता पूर्वक हत्या कर शरीर से धड़ का काट कर ले जाना न सिर्फ अनैतिक है बल्कि अंतर्राष्ट्रीय कानून का उल्लंघन भी है। पाकिस्तान सैनिकों द्वारा बार-बार सीमा पर गोलीबारी कर सीजफायर का उल्लंघन किया जाना तो बदस्तूर जारी है। सीमा पर न सिर्फ गोलीबारी करते है, भारतीय सीमा में आंतकवादी संगठनों का घुसपैठ कराने में पाकिस्तानी सैनिकों का ही हाथ हैं। सीमा के नजदीक सुरक्षा में तैनात जवानों का ध्यान हटाने के लिए गोलीबारी करते है और जिसका आड़ लेकर पाकिस्तान के आतंकी भारत की सीमा में प्रवेश करते है। इन आशंकाओं से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि पाक सैनिक ही भारत में अशांति फैलाने के लिए आतंकी भेजते है। यदि ऐसा नहीं है तो नियंत्रण रेखा पर सीजफायर के बाद भी बिना कोई ठोस कारण और रक्षा मंत्रालय को सूचना दिये ही गोलीबारी क्यों। यह बात तो पहले ही साफ हो चुका है कि पाक सैनिकों का पाकिस्तानी रक्षा मंत्रालय और शासन से ज्यादा जेहादियों की हुक्म की तामिल करना ज्यादा वफादारी समझते है इसीलिए वे आतंकियों के बारे में जानकारी रखते हुए भी भारत की मदद नहीं करते है या यह कहा जाए की पाक ही भारत में अशांति फैलाने के लिए जानबूझ कर करते है। हाल ही में हुए फायरिंग ने यह भी साबित कर दिया कि पाक सैनिक एक सिपाही की तरह नहीं लड़ते ही बल्कि की खुंखार पशुओं की तरह नरसंहार कर सैनिकों का सर काट कर ले जाते है। आखिर ये किस युद्ध कला में सिखाई जाती है कि दुश्मन को बिना आगाह किये ही चुपचाप तरीके से वार करना। वह भी उन दिनों जबकि भारत-पाक के बीच शांत समझौता जारी है। निश्चित ही ये सैन्य कला नहीं बल्कि आतंकियों के पैतरे हंै, जिसे अपना कर पाकिस्तानी सैनिक भारतीय सीमा पर गोलीबारी कर जवानों का नरसंहार कर करते है। अब भारत को भी अमेरिकी कार्यप्रणाली को अपनाने की जरूरत है आखिर कब तक दुश्मनों के वार सहते रहेंगे। शंाति वार्ता तभी सार्थक होगी जब दोनों ही तरफ के लोग शांति चाहेंगे। पाक तो शांति चाहता ही नहीं। बार-बार उलंघन से तो यही लगता है कि वो हमें ललकार रहा है कि आवो दम है लड़ों, पर हम है कि अब भी शांति और दोस्ती के लिए बाहं फैलाये खड़े है। दोस्ती के नाम पर दोस्त के ही पीठ में छूरा घोपते है पाक। अब इस तरह की पाकिस्तनी सेना की कार्रवाई को नजरअंदाज करना भारत की कमजोरी होगी। दुश्मन को और कितना अवसर देंगे सुधरने के लिए जबकि दुश्मन तो सुधरना ही नहीं चाहता है। तत्कालिन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में जो शांति वार्ता शुरू हुई थी, लाहौर बस सेवा, सिजफायर, व्यापारिक आवागमन किसी में भी पाकिस्तान ने इमानदारी नहीं दिखाई है। कभी तानाशाही तो कभी आतंकी संगठनों के कारण शांति समझौता में बाधा उत्पन्न हुई। इतने व्यवधानों के बाद भी भारत जो रास्ता निकालता है वह अमन का ही होता है। इस समझौते में पाक की नियत अब भी पाक नहीं है। यदि भारत की जगह अमेरिका या चीन जैसे देशों के साथ वादाखिलाफी की होती तो आज तक पाकिस्तान का नामोनिशा ही मिट चुका होता है। इस मामले में अमेरिका की नीति ठीक है जो दुश्मनों को घर में घुस कर मारने की हिम्मत करता है। तालिबान और ओसामा के साथ जो अमेरिका ने किया वही अब भारत को पाक के साथ करना होगा। भारत भले ही अमेरिका जितनी सैन्य शक्ति संपन्न नहीं है पर पाक से कम भी नहीं है। पाकिस्तान तो अपनी ताकत दिखा कर बार-बार भारत को चुनौती दे रहा है। अब जो ताकत भारत के पास है उसका उपयोग करने की जरूरत है। तोप और गोला बारूद बना-बना कर अरबों की धनराशि सैन्य सुरक्षा में लगाने के बाद क्या उन अस्त्र-शस्त्र का प्रयोग नहीं होना चाहिए। सिर्फ दिखावे के लिए और प्रदर्शनी में रखने के लिए बनाये हो तो बाद अलग है, यदि अपनी शक्ति बढ़ाने के लिए परमाणु बम और टैकों का निमार्ण हुआ है तो फिर सीमा पर सैनिकों का नरसंहार किस लिए कराया जा रहा है। प्रदर्शनी में रखे अस्त्रों को मैदान में आने दो, जो उनमें शक्तियां है उसे हकीकत बनने देने की जरूरत है। दुश्मन अब किताबी औजार से नहीं डरने वाला है शक्ति है तो दिखाओ शायद यही कहना हो सकता है पाक सैनिकों का। तभी तो पाकिस्तानी सैनिक अपना तकत दिखाने में पीछे नहीं रहते है। जरूरत पड़ी तो आत्मघाती भी बनने में कोई कसर नहीं छोड़ते है। अब तो शांति समझौता से आगे कुछ और कार्यवाही होनी चाहिए अन्यथा पाकिस्तानियों की हौसलों में और पर लग जायेंगे। आज जो वो देश के बाहर बैठे कर रहे है वही काम वह हमरे देश के भीतर घुस कर करेंगे। अभी तब कि जितनी भी आतंकी वारदात भारत में हुए है उस पर तो पाक ने साफ इंकार कर दिया है वे आंतकी पाकिस्तानी थे। पाकिस्तान के नागरिक होने का पुख्ता सबुत के बाद भी पाक द्वारा आतंकियों को पाकिस्तनी होने से झूटलाता रहा है। ऐसे में विश्वातघात करने वाले देश की करतूतों को आखिर कब तक बरदास्त किया जाता रहेगा, समय रहते सबक सिखना ही उचित है।

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