अंधभक्तों को अरोप पत्र में भी साजिश

सादे पोषाक में रहने वाले संत के रंगीन मिजाजी से आज दुनिया वाकिफ हो चुकी है एक संत के कारण पूरे संत बिरादरी पर अविश्वास करना उचित नहीं है, इस घटना ने लोगों के भावनाओं को चोट जरूर पहुंचा है। कहीं न कहीं उनके मन में हर गेंहुवा वस्त्र के लिए अब नजरे टेढ़ी जरूर हुई है...    
दुनिया को उपदेश देने वाले आसाराम ने अपने आस-पास अंधभक्तों की इतनी फौज तैयार कर रखी है कि वे तो अरोप पत्र को साजिश बता रहे है। संत होकर अब कौन गुंडागर्दी कर रहा है ये साफ हो गया। पहले तो यह कहा जा रहा था कि आरोप ही बेबुनियाद है। अब पुलिस के द्वारा आरोप पत्र दाखिल करने बाद भी उनके भक्त बापू-बापू के नाम की माला जप रहे है। न जाने उनके बापू ने क्या घुट्टी पिलाई है, उन पर लगा हर आरोप एक साजिश लग रही है।
    आसाराम के उपर आश्रम के लिए जमीन अधिग्रहण से लेकर बच्चों की बलि और बलात्कार जैसे संगिन आरोप भी लगे है जो परत दर परत आइने की तरह साफ होता जा रहा है। आसाराम की हकीकत आज लोगों के सामने है। एक संत जो धर्म और गुरू की महानता को कलंगित कर चुका है, एक आम आदमी को तो उसे संत कहने में भी शर्म आ रही है किन्तु उनके भक्तों की आखें कब खुलेगी, वे ही जाने। एक संत होकर आरोपों का सामने करने के बजाए कानून से भागे और पकड़ के बाद अपने गुंडों के द्वारा पुलिस और मीडिया कर्मीयों पर दबांगाई दिखाये। ये किस बिरादरी के संत है, हर शहर में आलिशन कुटिया और सौकड़ों एकड़ का आश्रम वह भी बेजा कब्जा।
    पाप का घड़ा फुटने के बाद एक के बाद एक काले कारनामों से पर्दा उठता जा रहा है। राजस्थान पुलिस द्वारा जो आरोप पत्र दाखिल किया गया है उससे तो यही अंदेशा है कि अब आसाराम ताउम्र सलाखों के पीछे ही रहेंगे। नाबालिक से यौन शोषण के आरोप में पुलिस के हत्थे चढ़े आसाराम और उनके चार साहयोगियों के खिलाफ जोधपुर कोर्ट में 1012 पन्नों की चार्जशीट दाखिल कर दी है। आरोप पत्र में आसाराम पर बलात्कार, यौन उत्पीड़न, बंधक बनाना, धमकी देना समेत जेजे और पॉस्को ऐक्ट के तहत कई सख्त धाराएं लगाई गई हैं। अगर ये आरोप साबित हो जाते हैं तो उन्हें 10 साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा हो सकती है। यह भी कहा गया है कि राजस्थान पुलिस ने करीब 140 गवाहों से पूछताछ की है और उनके बयानों के आधार पर यह आरोप पत्र तैयार कर बुधवार उसे जोधपुर कोर्ट में पेश किया गया। दुनिया में सत का संदेश देने वाले संत ने हालांकि कोर्ट में अपना जुर्म कबूला नहीं है।
    इतने आरोप लगने के बाद भी अपने को बेदाग बताने वाले संत के उपर धारा 376 (2): बलात्कार, जिसके तहत 10 साल से उम्रकैद तक की सजा। धारा 370: बंधक बनाना, 7 साल तक की सजा। धारा 506: धमकाना, 7 साल तक की सजा और जुर्माना। 26 जेजे ऐक्ट: नाबालिग का शोषण, 3 साल तक की सजा। 5/6 पॉस्को ऐक्ट: 10 साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा हो सकती है। ऐसा भी नहीं है कि आसाराम के भक्तों में सभी अनपढ़ है। कई कानून के जानकार है और वही लोग उनके झुठ को सच्च और पीड़िता को झूठा ऐसा भी नहीं है कि आसाराम के भक्तों में सभी अनपढ़ है कई कानून के जानकार है, वही लोग तो उनके झुठ को सच्च और पीड़िता को झूठी साबित करने में आमद है। उनकी माने तो जो भी व्यक्ति उन पर आरोप लगा रहे है या उनके खिलाफ गवाही दे रहे है वो सभी आश्रम ले निकाले गये लोग है। आखिर संत के दरबार से लोग क्यों निकाले जाते है। दुनिया को सात्विक जीवन की सलाह और दीक्षा देने वाला खुद सारे सुखों का भोग करे और चेले बेचारे उनकी बातों में आकर अपने सुखों के साथ-साथ घर परिवार का त्याग कर उनके शरण में चले जाते है। कई उनके भक्तो ं को तो यह भी पता नहीं था की आसाराम (बाल-बच्चे)परिवार वाला आदमी है। सादे पोषाक में रहने वाले संत के रंगीन मिजाजी से आज दुनिया वाकिफ हो चुकी है। एक संत के कारण पूरे संत बिरादरी पर अविश्वास करना उचित नहीं है। इस घटना ने लोगों के भावनाओं को चोट जरूर पहुंचा है। कहीं न कहीं उनके मन में हर गेंहुवा वस्त्र के लिए अब नजरे टेढ़ी जरूर हुई है। साधुसंतों पर आस्था जरूर हो, बिन गुरू के ज्ञान की प्राप्ति नहीं होती। किन्तु ऐसे संतों से सीख लेने की जरूरत हम सब को है अब बंद आखों से ईश्वर का नाम जपने के बजाए अब आखें खोल कर भगवान का दीदार करने में ही सबकी भलाई।

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