संतान प्राप्ति व उनके दीर्घायु की कामना का व्रत 'कमरछठ' kamarchhat | हलषष्ठी

कमरछठ विशेष-: जयंत साहू



छत्तीसगढ़ में माताएं अपने संतानों की दीर्घायु तथा सुखमय जीवन की कामना के लिए कठिन व्रत रखती है जिसे कमरछठ कहा जाता है। इसे कमरछठ के अलावा हलषष्ठी, खमरछठ, हलछठ आदि नामों से भी जाना जाता है। कमरछठ का व्रत माताएं भाद्रपद मास में कृष्णपक्ष की छठी तिथि को रखती है। व्रत के दौरान गांव की सभी महिलाएं एकत्रित होकर किसी एक स्थान पर सगरी (जलाशय का प्रतिरूप) बनाती और उसके किनारे को काशी व अन्य पुष्पों से सजाया जाता है। सगरी के पास ही भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति बनाकर पूजा किया जाता है।

सगरी के पास ही बैठकर माताएं कथा सुनती है, सगरी की परिक्रमा करती है और अपने-अपने संतानों की सुखमय जीवन की कामना करती हुई सगरी में जल अर्पण करती है। 'कमरछठ' व्रत में फलाहार के रूप में ऐसे भोजन और साग-सब्जी का उपयोग किया जाता हैं, जिसे हल आदि के द्वारा न बोया गया हो, अर्थात प्राकृतिक रूप से उत्पन्न वस्तुओं को ही ग्रहण करती हैं। जिसमें पसहर चावल के अलावा के साथ छ: प्रकार के अन्न- धान की लाई, भुना हुआ चना तथा महुआ, गेहूँ, अरहर व छ: प्रकार की भाजी (मुनगा, कद्दु, सेमी, तोरई, करेला, मिर्च), भैंस की दूध-दही आदि को महुआ पत्ते के दोना और पत्तल में भरकर भोग लगाया जाता है व ग्रहण किया जाता है। 

कमरछठ की 10 विशेष बातें -:


1. यह पर्व भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। माताएं संतान प्राप्ति व उनके दीर्घायु सुखमय जीवन की कामना रखकर को रखती है।
2. इस दिन माताएं सगरी बनाकर भगवान शिव और पार्वती की पूजा करती हैं और उनके पुत्र के समान ही श्रेष्ठ पुत्र की कामना करती हैं।
3. इस दिन फलाहार के रूप में ऐसे भोजन और साग-सब्जी का उपयोग करती हैं, जिसे हल आदि के द्वारा न बोया गया हो, अर्थात प्राकृतिक रूप से उत्पन्न वस्तुओं को ही ग्रहण करती हैं। जिसमें पसहर चावल आदि शामिल होते हैं।
4. इस पूजन की सामग्री मे पसहर चावल, महुआ के पत्ते में धान की लाई, भैस के दुध दही व घी आदि रखते है।
5. सगरी में बच्चों के खिलौनों जैसे भौरा बाटी आदि भी रखा जाता है साथ ही हरेली में बच्चों के चढ़ने के लिए बनाया जाता है को भी सगरी में रखकर पूजा करते है।
6. सगरी के पास बैठ कर व्रत रखी हुई माताएं हलषष्ठी माता के छः कहानी को कथा के रूप में श्रवण करते है।
7. 'कमरछठ' व्रत के बारे में अनेक पौराणिक कथा प्रचलित है जिसमें से एक देवकी-वसुदेव की कथा है। वसुदेव और देवकी के बेटों को एक-एक कर कंस ने कारागार में मार डाला। जब सातवें बच्चे के जन्म का समय नजदीक आया तो देवर्षि नारद जी ने देवकी को हलषष्ठी देवी के व्रत रखने की सलाह दिया। देवकी ने इस व्रत को सबसे पहले किया जिसके प्रभाव से उनके आने वाले संतान की रक्षा हुई।
8. हलषष्ठी का पर्व भगवान कृष्ण व बलराम जी से भी संबंधित है। हल से कृषि कार्य किया जाता है। बलराम का प्रमुख हथियार भी है। बलदाऊ भैया कृषि कर्म को महत्व देते थे, वहीं भगवान कृष्ण गौ पालन को। इसलिए इस व्रत में हल से जुते हुए जगहों का कोई भी अन्न आदि व गौ माता के दुध दही घी आदि का उपयोग वर्जित है। उत्तर भारत में इसे हलधर बलराम जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है तथा दक्षिण में कुमार कार्तिकेय जयंती के रूप में मनाया जाता है।
9. इस व्रत मे पूजन के बाद माताएँ अपने संतान के पीठ वाले भाग में कमर के पास पोता (कपड़ों का टुकड़ा जिसे हल्दी पानी से भिगोकर रखा जाता है) मारकर अपने आँचल से पोछती है जो कि माता के द्वारा दिया गया रक्षा कवच का प्रतीक है।
10. इस व्रत-पूजन में छः की संख्या का अधिक महत्व है। जैसे- भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष का छठवाँ दिन, छः प्रकार का भाजी, छः प्रकार के खिलौना, छः प्रकार के अन्न वाला प्रसाद तथा छः कहानी/कथा।



संकलनकर्ता-
 जयंत साहू, डूण्डा, रायपुर छत्तीसगढ़ 9826753304

नया रायपुर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को समर्पित अब कहलायेगा अटल नगर

छत्तीसगढ़ सरकार की अटल जी को श्रद्धांजलि पुष्प-

  •  नया रायपुर का नामकरण अटल नगर
  • सभी जिला मुख्यालयों में लगेगी अटल जी की प्रतिमा
  • अटल जी नाम पर सेंट्रल पार्क
  • राष्ट्रीय स्तर के कवियों के लिए अटल जी के नाम पर राष्ट्रीय पुरस्कार की स्थापना
  • बिलासपुर विश्वविद्यालय और राजनांदगांव मेडिकल कॉलेज का नामकरण अटल जी के नाम पर
  • मड़वा ताप बिजली परियोजना और रायपुर शहर के एक्सप्रेस वे का नामकरण भी अटल जी के नाम पर





देश ने अटल के रूप में क्या कुछ खोया ये उनके जाने के बाद जाना है। किसी के लिये वे राजनेता थे तो किसी के लिये वे महान कवि, कोई उन्हे युगपुरूष मानता है तो कोई सच्चा राष्ट्रभक्त आज हर कोई उनको याद करके गमगीन हो रहा है। भारत देश ही अपितु बाहर के कई देश अटल जी को याद करते हुये शोक मना रहे है। ऐसे महान पुरूष ने छत्तीसगढ़ राज्य का निर्माण किया है ये प्रत्येक छत्तीस​गढ़ वासियों के लिये गर्व की बात है। जब अटल जी की निधन की खबर आई उस समय देश अपनी आजादी की 72 स्वतंत्रता दिवस के जूनून में था। हर तरफ आजादी के तराने गुंज रहे थे फिर अचानक ही अटल जी की कविताएं गुंजने लगी। उनके कृतियां पुन: प्रकाशित होने लगी, कविताओं का वाचन होने लगा। सही मायने में यही उनके प्रति हमारी सच्ची श्रद्धांजलि थी।
अटल जी ने अपने अंतिम समय में अपने द्वारा खड़ी की गई पार्टी को शिखर पर देखा है, निश्चित ही पार्टी भी उनके नाम को शिखर पर ही स्थापित करेगी। 

छत्तीसगढ़ सरकार ने अपनी ओर से सबसे बड़ी घोषणा कर दी है, नया रायपुर में हुई मंत्रिपरिषद की बैठक में प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने यह ऐलान किया है कि नया रायपुर का नाम अब अटल नगर होगा। उन्होने आगे कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण में स्वर्गीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी के ऐतिहासिक योगदान को देखते हुए नया रायपुर का नामकरण अटल नगर करने और वहां अटल जी की मूर्ति स्थापित करने और वहां सेंट्रल पार्क का नामकरण भी उनके नाम पर करने और नया रायपुर में ही अटल स्मारक बनाने सहित राज्य में उनकी स्मृतियों को चिरस्थायी बनाये रखने के लिए और भी कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। नया रायपुर के अलावा प्रदेश के सभी 27 जिला मुख्यालयों में अटल जी की प्रतिमा लगायी जाएगी।

मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की ओर से यह भी घोषणा की गई है कि बिलासपुर विश्वविद्यालय और राजनांदगांव मेडिकल कॉलेज का नामकरण अटल जी के नाम पर करने तथा राष्ट्रीय स्तर के कवियों के लिए अटल जी के नाम पर राष्ट्रीय पुरस्कार की स्थापना और प्रदेश सरकार के द्वितीय चरण की विकास यात्रा को अटल विकास यात्रा के नाम से आयोजित होगी। इसके अलावा मड़वा ताप बिजली संयंत्र और राजधानी रायपुर में पूर्ववर्ती नेरोगेज पर बन रहे एक्सप्रेस वे कलेक्टोरेट के बगीचे का नामकरण भी स्वर्गीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर किया जाएगा। 

अटल बिहारी वाजपेयी जी का जीवन ​परिचय- 


अटल जी का जनम 25 दिसंबर 1924 को मध्यप्रदेश के ग्वालियर में हुआ ​था। उनके पिता का नाम पण्डित कृष्ण बिहारी वाजपेयी और माता का नाम श्रीमती कृष्णा वाजपेयी है। उनके पिता ग्वालियर में अध्यापन कार्य करते थे। अटल जी की प्रारंभिक शिक्षा ग्वालियर में हुई तथा वे कानपुर के डीएवी कॉलेज से राजनीति शास्त्र में एम.ए. की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। उसके बाद उन्होंने अपने पिताजी के साथ-साथ कानपुर में एल.एल.बी. की पढ़ाई भी प्रारम्भ की लेकिन उसे बीच में ही विराम देकर पूरी निष्ठा से संघ के कार्य में जुट गये।

अटल जी भारतीय जनसंघ की स्थापना करने वालों में से एक थे और सन् १९६८ से १९७३ तक वह उसके राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे। सन् १९५७ में बलरामपुर (जिला गोण्डा, उत्तर प्रदेश) से जनसंघ के प्रत्याशी के रूप में विजयी होकर लोकसभा में पहुँचे। सन् १९५७ से १९७७ तक जनता पार्टी की स्थापना तक वे बीस वर्ष तक लगातार जनसंघ के संसदीय दल के नेता रहे। मोरारजी देसाई की सरकार में सन् १९७७ से १९७९ तक विदेश मन्त्री रहे। ६ अप्रैल १९८० में बनी भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष पद का दायित्व भी वाजपेयी को सौंपा गया।

दो बार राज्यसभा के लिये भी निर्वाचित हुए। लोकतन्त्र के सजग प्रहरी अटल बिहारी वाजपेयी ने सन् १९९७ में प्रधानमन्त्री के रूप में देश की बागडोर संभाली। १९ अप्रैल १९९८ को पुनः प्रधानमन्त्री पद की शपथ ली और उनके नेतृत्व में १३ दलों की गठबन्धन सरकार ने पाँच वर्षों में देश के अन्दर प्रगति के अनेक आयाम छुए।

पुरस्कार को मिले पुरस्कार-

  • 1992 में पद्म विभूषण, 
  • 1993 में डी लिट (कानपुर विश्वविद्यालय), 
  • 1994 में लोकमान्य तिलक पुरस्कार, 
  • 1994 में श्रेष्ठ सासंद पुरस्कार, 
  • 1994 में भारत रत्न पंडित गोविंद वल्लभ पंत पुरस्कार, 
  • 2015 में डी लिट (मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय), 
  • 2015 में 'फ्रेंड्स ऑफ बांग्लादेश लिबरेशन वार अवॉर्ड', (बांग्लादेश सरकार द्वारा प्रदत्त), 
  • 2015 में भारतरत्न से सम्मानित,


अटल जी की कुछ प्रमुख प्रकाशित रचनाएँ-

  • मृत्यु या हत्या
  • अमर बलिदान (लोक सभा में अटल जी के वक्तव्यों का संग्रह)
  • कैदी कविराय की कुण्डलियाँ
  • संसद में तीन दशक
  • अमर आग है
  • कुछ लेख: कुछ भाषण
  • सेक्युलर वाद
  • राजनीति की रपटीली राहें
  • बिन्दु बिन्दु विचार, इत्यादि
  • मेरी इक्यावन कविताएँ

किशोर साहू स्मृति राष्ट्रीय अलंकरण समारोह 2018

भारतीय सिनेमा के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में अपना नाम दर्ज कराने वाले महान फिल्मकार किशोर साहू का जन्म छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में हुआ था बस इतना ही परिचय काफी है। उनका जन्म 22 नवंबर 1915 को हुआ था और वे 22 अगस्त 1980 को हम सब को छोड़कर इस दुनिया से चले गये। किशोर साहू के परिचय में राजनांदगांव ही काफी है इसलिये कहा क्योकि ये वो अचंल है जिसने राज्य ही नहीं अपितु देश के कई रंगमंचों को बेहतरीन कलाकार दिये है। हबीब साहब ने भी राजनांदगांव जिले के कई कलाकारों को नये थेयेटर से जोड़कर कला की बुलंदी तक पहुंचाया। वहां की माटी में अद्भुत गुण है जिसने पहचाना वो आज कला और साहित्य की शिखर पर है और तकदीर से किशोर साहू भी इसी धरा पर अवतरे। 

बहुमुखी प्रतिभा के धनी किशोर साहू अभिनेता, निर्देशक, पटकथा लेखक के साथ-साथ फिल्म निर्माता के रूप में भी कामयाब रहे। उनका फिल्मी जीवन 1937 से शुरू हुआ और 1980 के दशक तक वे लगभग 22 फिल्मों में काम किये तथा 20 फिल्मों का निर्देशन भी किया। उनके निर्देशन में कुवरा बाप 1943 की सबसे सफल फिल्म रही जिसे सर्वश्रेष्ठ भारतीय फिल्म का पुरस्कार मिला। इसके अलावा परिवारिक फिल्म नदिया के पार ने तो इतिहास रच दिया भारतीय सिनेमा में। 'मयूरपंख', 'सावन आया रे', 'पुष्पांजलि', 'हरे कांच की चुड़िया', 'पुनम की रात', 'दिल अपना और प्रित पराई', 'किस्मत का खेल' में उनके निर्देशन को खूब सराहना मिली।

 'तीन बहुरानी', 'औरत', 'हरे कांच की चुड़िया', 'दिल अपना और प्रित पराई', 'मयूरपंख' में उनके कलम ने भी अपना जौहर दिखाया। वे खुद इस बात को मानते थे कि बचपन में कहानी लिखने की ललक आज उनको सिनेमा तक ये आई है। छत्तीसगढ़ राज्य के अलग होने के बाद से ही यहां के कला साधकों की पूछपरख बड़ने लगी, लोग अपने आंचलिक प्रतिभाओं को सम्मान देने लगे। राज्य सरकार की ओर अनेक विधाओं राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर सम्मानित किया जाता है। 




हाल ही में इसमें एक और नया अध्याय जुड़ा किशोर साहू अलंकरण के रूप में जिसमें दो सम्मान दिये जा रहे है, एक राष्ट्रीय और दूसरा प्रादेशिक स्तर पर। प्रथम किशोर साहू अलंकरण समारोह 4 मई को राजनांदगांव के गोविंदराम निर्मलकर सभागार में आयोजित की गई। समारोह में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के करकमलों से मुम्बई के प्रसिद्ध फिल्मकार 'श्याम बेनेगल' को किशोर साहू स्मृति राष्ट्रीय अलंकरण से नवाजा गया तथा छत्तीसगढ़ी फिल्मों के निर्देशक 'मनोज वर्मा' को किशोर साहू स्मृति राज्य सम्मान से सम्मानित किया गया। 

इस अवसर पर मुख्य अतिथि की आसंदी से समारोह में डॉ. रमन सिंह ने कहा कि छत्तीसगढ़ की धरती से और विशेष रूप से राजनांदगांव के साथ स्वर्गीय श्री किशोर साहू का गहरा भावनात्मक लगाव था। स्वर्गीय श्री साहू ने अपनी आत्मकथा में राजनांदगांव को सुन्दर, सौम्य और संस्कारधानी शहर बताया है। साथ ही देश के तीन सुप्रसिद्ध साहित्यकार स्वर्गीय श्री गजानन माधव मुक्तिबोध, पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी और डॉ. बलदेव प्रसाद मिश्र को याद करते हुए कहा कि तीनों महान साहित्यिक विभूतियों ने राजनांदगांव को अपनी कर्मभूमि बनाकर देश और दुनिया में छत्तीसगढ़ का नाम रौशन किया। 

समारोह को संबोधित करते हुए श्याम बेनेगल ने कहा कि लोक-संगीत, लोक-गीत और लोक-कलाओं की दृष्टि से छत्तीसगढ़ काफी समृद्ध है। छत्तीसगढ़ से जुड़ी अपनी लगभग 40 वर्ष पुरानी स्मृतियों को साझा करते हुए बताया कि प्रसिद्ध वैज्ञानिक प्रोफेसर यशपाल ने साक्षरता अभियान के लिए एक प्रोजेक्ट बनाया था, जिसके तहत मैं फिल्मांकन के लिए छत्तीसगढ़ आया था। मुझे अपनी युवा अवस्था में फिल्म निर्माण के क्षेत्र में स्वर्गीय श्री किशोर साहू के कार्यों को नजदीक से देखने का मौका मिला था। स्वर्गीय श्री साहू ने हिन्दी सिनेमा को एक नई पहचान दिलाई।

राज्य के प्रथम किशोर साहू स्मृति राष्ट्रीय अलंकरण और राज्य सम्मान के निर्णयक मंडल में शामिल थे अशोक मिश्रा, रघुवीर यादव और जयंत देशमुख। समारोह में विशेष रूप से सर्वश्री दयालदास बघेल, अभिषेक सिंह, मधुसूदन यादव, श्रीमती शोभा सोनी, श्रीमती सरिता कन्नौजे, कोमल जंघेल, खेदूराम साहू, लीलाराम भोजवानी के अलावा स्व. श्री किशोर साहू के सुपुत्र विक्रम साहू मौजूद रहे।

सम्मानित दोनो महानुभवों को सोशल मीडिया में अनेक लोगों से बधाई और शुभकामनाएं पोस्ट किये
'सम्मान जिनसे सम्मानित हुआ'
छत्तीसगढ़ फिल्म एंड विजुअल आर्ट सोसायटी के फेसबूक वॉल पर श्री सुभाष मित्रा जी लिखे है कि-
छत्तीसगढ़ शासन द्वारा फिल्म एक्टर डायरेक्टर स्वर्गीय किशोर साहू के नाम से स्थापित पहला सम्मान, श्याम बेनेगल जैसे निर्देशक को दिया गया। श्याम बेनेगल जैसी शख्सियत को मिला यह सम्मान स्वयं सम्मानित हुआ। सिनेमा का क्लासिक रचने वाले डाउन टू अर्थ श्याम बेनेगल अपने पूरे व्यवहार और सज्जनता मे यह बता जाते हैं की कोई भी व्यक्ति महान कैसे होता है। आक्रोश, निशान्त, मंडी, ज़ुबैदा, समर जैसी फिल्मों, भारत एक खोज और अमरावती, संविधान जैसे टी. वी. सीरियल के निर्देशक, दादा साहब फाल्के पुरस्कार से पुरस्कृत श्याम बेनेगल को राजनांदगाँव मे आयोजित किशोर साहू राष्ट्रीय अलंकरण समारोह में हिन्दी सिनेमा मे योगदान के लिए सम्मानित किया गया। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ रमनसिंह ने दस लाख रूपये के नगद पुरस्कार, शाल श्रीफल और प्रशस्ति पत्र देकर उन्हे सम्मानित किया। इसी समारोह में दो लाख रूपये के नगद पुरस्कार और शाल श्रीफल और प्रशस्ति पत्र देकर छत्तीसगढ़ के निर्देशक मनोज वर्मा को भी सम्मानित किया गया। 





हमारे जैसे कला, संस्कृति, सार्थक सिनेमा से जुड़े लोगो के लिए आज का पूरा दिन बहुत यादगार रहा। हमने आज पूरा समय ग्रेट श्याम बेनेगल के साथ बिताया। स्क्रिप्ट राईटर और श्याम बेनेगल के साथ लंबे समय से जुड़े अशोक मिश्र, फिल्म एक्ट्रर रधुवीर यादव, किशोर साहू के पुत्र अभिनेता विक्रम साहू, आर्ट डायरेक्टर मित्र जंयत देशमुख, मनोज वर्मा और मैने आज श्याम बेनेगल साहब से रायपुर से लेकर राजनांदगाँव की पूरी यात्रा और रायपुर प्रवास मे बहुत से विष्यो पर बातचीत की। पूरादिन और आधी रात तक का यह संत्सग अविस्मरणीय है जिसमें हिमांशु राय, देविका रानी, अशोक कुमार से लेकर अमिताभ बच्चन से लेकर भारत एक खोज, समर, संविधान को लेकर बहुत सी बातें हुई ...


गजेंद्ररथ वर्मा मनोज वर्मा के फेसबूक पर टेग करते हुये लिखते है- 'कला का सम्मान'
कलाकार जिनगी भर ताली अउ सराहना ले उत्साह पाथे न ओला धन के लालच होथे अउ न ही बड़े पद पाए के...जब एक कलाकार के सम्मान होथे त बाकी सब्बो कलाकार के घलो सम्मान होथे...भैया मनोज वर्मा के सम्मान पूरा छोलीवुड के सम्मान हे... हर वो नान्हे कलाकार के सम्मान हे जउन कला ले जुड़े हें कलाकारी ले सिरजे हें। अंतस के आनन्द, खुसी के व्याख्या कहूं आज शब्द म नई हो पाही,मैं वो दिन ल सोरियात हंव जब हमन बछर 2006 म फ़िल्म बैर के सुरुवात करेन भैया मनोज वर्मा, भैया शैलेंद्रधर दीवान, अन्थोनी गार्डिया, सुदीप नियोगी भैया हम सब्बो मिल जुर रात रातभर फ़िल्म खावन, फ़िल्म सुतन, फ़िल्म जीयन अउ आज घलो वो यात्रा जारी हे... एकर पड़ाव म सम्मान के हजारों ठहराव आवय...भैया मनोज वर्मा ल छत्तीगढिया माटी ले सिरजे किशोर साहू सम्मान बर हिरदे ले बधाई...

अनुराधा दुबे जी लिखती है-
बहुआयामी फिल्मकार मनोज वर्मा जी को छत्तीसगढ़ शासन द्वारा आज माननीय मुख्यमंत्री महोदय के करकमलों से पहले किशोर साहू राष्ट्रीय सम्मान से अलंकृत किया गया। उन्हें अनंत बधाई और शुभकामनाएं....
तपेश जैन जी लिखते है-
छत्तीसगढ़ी सिनेमा के लिए ऐतिहासिक दिन- 
आज स्व किशोर साहू राष्ट्रीय सम्मान समारोह में राज्य स्तरीय प्रथम सम्मान छत्तीसगढ़ी सिनेमा को अंतर्राष्टीय स्तर पर पहचान देने वाले श्री मनोज वर्मा को मुखयमंत्री डॉ रमन सिंह ने प्रदान किया। समारोह के उपरांत श्री मनोज वर्मा के साथ फिल्मकार तपेश जैन, स्मार्ट सिनेमा क संपादक पी एल एन लक्की के साथ पदम श्री स्व गोविन्द राम निर्मलकर ऑडिटोरियम, राजनाँदगाँव में। मनोज भाई को कोटि कोटि बधाइयाँ ...

अनिरूद्ध दुबे जी ने फोटो शेयर करते हुये लिखा है-
हमारे अपने छत्तीसगढ़ी सिनेमा के डायरेक्टर मनोज वर्मा को आज छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से पहला फिल्मकार किशोर साहू सम्मान दिया जा रहा है। मनोज 'भूलन द मेज', 'महूं दीवाना तहूं दीवानी' एवं 'बैर' फिल्मों का निर्देशन कर चुके हैं। पुरस्कार ग्रहण करने रवाना होने से पहले भाई मनोज के साथ एक तस्वीर...

मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह- हिन्दी सिनेमा में स्वर्गीय श्री किशोर साहू के योगदान का उल्लेख करते हुए कहा कि उनके द्वारा प्रसिद्ध कलाकार दिलीप कुमार और कामिनी कौशल को लेकर 'नदिया के पार नामक जिस फिल्म का निर्माण किया था, उसमें नांदघाट का भी वर्णन है। डॉ. सिंह ने कहा - लोकप्रिय हिन्दी फिल्म 'गाईड' में भी स्वर्गीय श्री किशोर साहू ने एक यादगार भूमिका निभाई थी। स्वर्गीय श्री किशोर साहू की इस फिल्म में पहली बार छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक विशेषताओं की झलक मिली। 

फिल्म मेकर श्याम बेनेगल- छत्तीसगढ़ से मेरा नाता लगभग 40 वर्ष पुरानी है उस समय एक प्रसिद्ध वैज्ञानिक प्रोफेसर यशपाल ने साक्षरता अभियान के लिए एक प्रोजेक्ट बनाया था, जिसके तहत मैं फिल्मांकन के लिए छत्तीसगढ़ आया था। मुझे अपनी युवा अवस्था में फिल्म निर्माण के क्षेत्र में स्वर्गीय श्री किशोर साहू के कार्यों को नजदीक से देखने का मौका मिला था। स्वर्गीय श्री साहू ने हिन्दी सिनेमा को एक नई पहचान दिलाई।

सांसद श्री अभिषेक सिंह- स्वर्गीय श्री किशोर साहू ने अपने परिश्रम तथा कला-कौशल से फिल्म जगत में बड़ा स्थान बनाया। वे छश्रीसगढ़ की धरती से गहराई से जुड़े हुए थे। उनकी फिल्मों में छत्तीसगढ़ की लोक कलाओं की सोंधी महक है।
- फोटो साभार सोशल मीडिया से

पीएम मोदी ने ‘आयुष्मान भारत योजना’ का किया शुभारंभ, छत्तीसगढ़ के आदिवासी बाहुल्य अंचल को मिला अनेक सौगात


छत्तीसगढ़ के इतिहास में ऐसा पहली बार होने जा रहा है जब कोई प्रधानमंत्री अपने प्रथम कार्यक्राल में चौथी बार पहुंच रहे है। बीजापुर जिले के गांव जांगला के प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी की यात्रा के दौरान होने वाले सभी कार्यक्रमों की पूरी तैयारी कर ली गई है। संविधान निर्माता बाबा साहेब अम्बेडकर जयंती जी कि जयंती के अवसर पर प्रधान मंत्री विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लेंगे। इससे पहले उन्होंने 1 9, 2015, 9 नवं, 2015 को नयावापुर, और कुरुबहाट गांव (डोंगरगढ़ ब्लॉक राजनांदगांव जिला) का दौरा किया था, और 1 नवंबर, 2016 को उन्होंने नई रायपुर में राज्योत्सव में भाग लिया था। ​जारी विज्ञप्ति के अनुसार प्रधान मंत्री 9.20 बजे भारतीय वायुसेना की उड़ान से नई दिल्ली से प्रस्थान करेंगे और जगदलपुर (बस्तर) 11.30 बजे पहुंचेगे, वहां से वह 12.25 बजे तक जांगला पहुंचकर ‘आयुष्मान भारत योजना’ सहित विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के शुभारंभ तथा विकास कार्यों के लोकार्पण कार्यक्रम में शामिल होंगे। 


यह योजना भारत के 10 करोड़ गरीब लोगों को 5 लाख रुपये के स्वास्थ्य बीमा लाभ प्रदान करेगी। इस योजना के तहत इन परिवारों के 40-50 करोड़ लोग लाभान्वित होंगे। लाभार्थी सरकार द्वारा भर्ती अस्पताल में गंभीर रोगग्रस्त रोगियों के नि: शुल्क चिकित्सा उपचार का लाभ उठाने के हकदार होंगे। प्रधान मंत्री जी जांगला के उप-स्वास्थ्य केंद्र में आयुषमान भारत योजना और संबंधित कार्यक्रमों का शुभारंभ करेंगे। इस अवसर पर, वह स्थानीय और ब्लॉक-स्तरीय श्रमिकों के साथ बातचीत करेंगे। प्रधान मंत्री जी जांगला सहित बीजापुर के सात गांवों के लिए विभिन्न बैंक शाखाओं का उद्घाटन करेंगे। इन शाखाओं के उद्घाटन के साथ, बस्तर राजस्व विभाग के 21 गांवों, जो पहले नहीं थे, उन्हें एटीएम सुविधा मिलेगी। इसके अलावा, कोंदगाव जिले के उरानबेद गांव और दंतेवाड़ा जिले के पांन्डम गांव को बैंक की अपनी शाखा भी मिलेगी। साथ ही नव निर्मित रेल लाइन का अनावरण करेंगे और उत्तरी बस्तर के लोगों के लिए एक यात्री ट्रेन का उद्घाटन करेंगे। 

इसके साथ, उत्तर बस्तर को रेलवे नेटवर्क और सेवाओं से जोड़ा जाएगा। नरेन्द्र मोदी, छत्तीसगढ़ सरकार के बस्तर नेट परियोजना के पहले चरण का उद्घाटन जांगला में आयोजित कार्यक्रम में करेंगे। इस परियोजना के तहत, बस्तर के दूरदराज के गांवों तक इंटरनेट की पहुंच का विस्तार करने के लिए बीजापुर, नारायणपुर, बस्तर, कांकेर, कोंदगाव, सुकमा और दंतेवाड़ा में ऑप्टिकल फाइबर केबल नेटवर्क का विकास किया जा रहा है। यह नेटवर्क लगभग 40 हजार वर्ग किलोमीटर तक फैला होगा। यह परियोजना दो चरणों में लागू की जाएगी, पहले चरण में 405 किमी नेटवर्क और दूसरी में 431 किमी नेटवर्क विकसित किया जाएगा। 

प्रधान मंत्री के जांगला दौरे के दौरान, मोदी राज्य सरकार द्वारा आयोजित बीजापुर जिला के विकास के लिए विभिन्न योजनाओं के आधार पर प्रदर्शनी का भी दौरा करेंगे। श्री मोदी छत्तीसगढ़ सरकार की भारत बीपीओ पदोन्नति योजना के अंतर्गत ग्रामीण बीपीओ केंद्र की स्थापना करेंगे, जो कि ग्रामीण युवाओं के लिए रोजगार का एक बड़ा स्रोत साबित हो रहा है। । श्री मोदी पीएमजीएसवाई के तहत जंगला में 1043 करोड़ रुपये के सड़कों और पुलों का आधार स्थापित करेंगे। वह इंद्रावती नदी के ऊपर उच्च गुणवत्ता वाले पुल का भी निर्माण करेगा।  प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी विभिन्न योजनाओं के लाभार्थियों को सामान और सब्सिडी भी वितरित करेंगे। प्रधान मंत्री के दौरे के दौरान जांगला में आयोजित होने वाले ये कार्यक्रम में रमन सिंह की अध्यक्षता करेंगे। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री जगत प्रकाश नड्डा अतिथि के रूप में भाग लेंगे। केंद्रीय इस्पात राज्य मंत्री विष्णुदेव साय, अध्यक्ष छत्तीसगढ़ विधान सभा श्री गौरीशंकर अग्रवाल और छत्तीसगढ़ सरकार के कैबिनेट मंत्री, बस्तर के सांसद श्री दिनेश कश्यप भी विशेष रूप से कार्यक्रम में भाग लेंगे।

सलमान खान वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की धारा 9/51 के तहत दोषी

हिन्दी सिनेमा जगत में सबसे खराब दिन के रूप में देखा जाये तो वह है 1998 वर्ष का अक्टूबर माह। इसी दिन फिल्म जगत के चार बड़े सितारे वन्यजीव अधिनियम की धारा 9/ 51 के तहत दोषी पाये गये। राजस्थान जोधपुर के जंगलों में छुट्टी मनाने पहुंचे कलाकारों ने एक निरिह वन्य प्राणी का शिकार कर दिया। सूरज बड़जात्या अपनी बेहतरीन फिल्म हम साथ साथ की शुटिंग करने जोधपुर पहुंचे थे।​ फिल्म में अहम किरदान निभा रहे सलमान खान, सैफ अली खान, तब्बू, नीलम और सोनाली बेंद्रे ने ऐसी घटना को अंजाम दिया जिसने सिनेमा जगत की छवि धुमिल कर दी। एक तरफ तो हम वन्य जीव संरक्षण की बात करते है और दूसरी ओर निरिह प्राणी का शिकार कर आंनद मनाते है। तब से अब तक यह केस कभी काफी मजबूत तो कभी कमजोर होता आ रहा है, सनमान के साथ भी गिरफ्तारी और जमानत का खेल चल रहा है। 




  • शिकार प्रकरण की तारीखें 27 सितंबर1998, 28 सितंबर1998, 1 अक्टूबर1998, 2 अक्टूबर1998  की रात बताई गई।
  • 12 अक्टूबर, 1998 को सलमान ख़ान की गिरफ्तारी हुई। 
  • 13 अक्टूबर, 1998 को जोधपुर के वन्य विभाग के दफ्तर में जांच अधिकारियों ने सलमान ख़ान और गवाहों के बयान दर्ज किए।  
  • 17 अक्टूबर, 1998 को सलमान बेल पर जोधपुर जेल से रिहा हुए।
  • 7 फ़रवरी, 2006 को निचली अदालत ने 1 साल जेल और पांच हज़ार रुपये जुर्माने की सज़ा सुनाई।
  • 10 अप्रैल, 2006 को जोधपुर की अदालत ने दूसरे चिंकारा मामले में सलमान को दोषी करार देते हुए वन्य जीवन क़ानून की धारा 51 और 52 के तहत पांच साल जेल और 25 हज़ार रुपये के जुर्माने की सज़ा सुनाई।
  • 24 अगस्त, 2007 को जोधुपर के सेशन कोर्ट ने निचली अदालत से मिली सज़ा की पुष्टि की। तब छह दिनों तक यानी 26 अगस्त से 31 अगस्त, 2007 तक सलमान जेल में रहे। 31 अगस्त, 2007 को राजस्थान हाईकोर्ट ने सलमान की सज़ा को निलंबित कर दिया।

  • 5 अप्रेल 2018 को एक बार फिर काला हिरण शिकार केस में सलमान खान को जोधपुर सेशन्स कोर्ट ने दोषी करार देते हुए पांच साल की सजा सुनाई है, साथ ही 10 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया गया है।

hindi film actress salman khan

hindi film star saif ali khan

hindi film actress tabu

hindi film actress neelam

hindi film actress sonali bendre


सन् 1998 में सूरज बड़जात्या की फिल्म 'हम साथ-साथ है' की सूटिंग के दौरान फिल्म में अहम किरदार निभा रहे सलमान खान, सैफ अली खान, तब्बू, सोनाली बेंद्रे और निलम पर काले हिरण के शिकार का केस दर्ज हुआ। फिल्म की सूटिंग चल रही थी राजस्थान, जोधपुर की हसिनवादियों में तभी शिकार के शौकिनों ने संरक्षित वन्य जीव पर डाली अपनी बूरी नजर। लम्बी बहस और गवाही के बाद सैफ अली खान, तब्बू, सोनाली बेंद्रे और नीलम को इस केस से बरी कर दिया गया। लम्बे से जा फसे सल्लू मिया। क्योकि उनके पास था 32 और 22 बोर का रायफल था। रायफल तो लायसेंसी था किन्तु जब यह वक्या हुआ उस दौरान उनकी वैध्यता समाप्त हो चुकी थी।

केस, जांच, गवाह, गिरफ्तारी और जमानत का खेल 20 से चल रहा है। हाल ही में फिर इस केस में जोधपुर कोर्ट ने अभिनेता सलमान खान को 5 अप्रल को 5 साल की सजा सुनाई। सलमान खान को जोधपुर जेल में रखा गया, आखिर फिर से उनको 50-50 हजार के दो मुचलके जमानत दे दी गई।

wildlife protection act 1972 pdf

सैकड़ों फिल्मों में अपने अभिनय का लोहा मनवा चुके सलमान ने अपनी फिल्मी कैरियर की शुरूआत सन १९८८ में पहली फिल्म बीवी हो तो ऐसी से की, लेकिन उनका कैरियर परवान चड़ा १९८९ में रिलीज़ हुई मैंने प्यार किया से। सलमान ने- बीवी हो तो ऐसी, मैंने प्यार किया, बागी, सनम बेवफ, पत्थर के फूल, कुर्बान, लव, साजन, सूर्यवंशी, एक लड़का एक लड़की, जागृति, निश्चय, चन्द्र मुखी, दिल तेरा आशिक, अंदाज़ अपना अपना, हम आपके हैं कौन, चांद का टुकड़ा, संगदिल सनम, करण अर्जुन, वीरगति, मझधार,
 खामोशी, जीत दुश्मन दुनिया का, जुड़वां, औज़ार, दस, दीवाना मस्ताना, प्यार किया तो डरना क्या, जब प्यार किसी से होता है, सर उठा के, जियो, बंधन, कुछ कुछ होता है, जानम समझा करो, बीवी नं॰ १, सिर्फ तुम, हम दिल दे चुके सनम, हैलो ब्रदर, हम साथ साथ हैं ,दुल्हन हम ले जाएंगे, चल मेरे भाई, हर दिल जो प्यार करेगा, ढाई अक्षर प्रेम के, कहीं प्यार ना हो जाए, चोरी चोरी चुपके चुपके, तुमको ना भूल पाएंगे, हम तुम्हारे हैं सनम, ये हैं जलवा, लव एट टाइम्स स्क्वायर, स्टम्प्ड, तेरे नाम, बागबान, गर्व, 
मुझसे शादी करोगी, फिर मिलेंगे,दिल ने जिसे अपना कहा, लकी, मैंने प्यार क्यों किया?, नो एन्ट्री, क्यों की, सावन, शादी करके फंस गया यार, जान-ए-मन, बाबुल, सलाम-ए-इश्क़, पार्टनर, मैरीगोल्ड, ओम शांति ओम,सांवरिया,गोड तुसी ग्रेट हो,हैलो,युवराज,हीरोज,मैं और मिसेज खन्ना,वांटेड,लंदन ड्रीम्स, वीर, दबंग, रेडी, किक (२०१४ फिल्म), दबंग २, जय हो, एक था टाइगर, प्रेम रतन धन पायो, बजरंगी भाईजान, सुल्तान, ट्युबलाइट, टाइगर जिंदा है..... में उमदा अदाकारी दिखाई।

रानी मुखर्जी फिल्म 'हिचकी' से लौट रही है बॉलीवुड

'हिचकी' फूल फ्री मूवी रिव्यू

यशराज फिल्म्स के बैनर निर्मित फिल्म 'हिचकी' एक सामाजिक कहानी को लेकर बनाई गई है जिसमें जन्मजात खामियां को लेकर पैदा होने वाले विदुषी महिला की संर्घष को दिखाया गया है। फिल्म की कहानी शुरू होती है नैना माथुर यानी रानी मुखर्जी से जो कि हिच्की के कारण मन पंदस जॉब नहीं कर पा रही है। नैना माथुर टीचिंग करना चाहती है किन्तु स्कूल प्रशासन उनकी हिच्की के कारण असमर्थता जताते हुये करते है कि आपकी आवाजे सुनकर बच्चे कक्षा में हंसते ही रहेंगे। नैना माथुर कारण बताती है कि हिच्की क्यों आती है, बड़ी मेहनत के बाद एक स्कूल उसे एक मौका देने का तैयार होता है। 

वह ऐसे बच्चे जो शिक्षा के अधिकार कानून के कारण प्रवेश पाये है और गरीब, मध्यम वर्ग से आते है। कक्षा शुरू होते ही बच्चे नैना को काफी परेशान करने लगते है, कभी हिच्की का नकल करते है तो कभी उनके साथ कक्षा में शरारत। नैना यानी रानी मुखर्जी काफी परेशान हो जाती है तक स्कूल का प्यून बताता है कि गलती बच्चों के नहीं है बल्कि यहां के माहौल का है क्योंकि किसी ने उसे दिल से स्वीकारा ही नहीं है। अमीर बच्चों, शिक्षकों और प्रबंधन के बेरूखे बरताव के कारण ये बच्चे पढ़ाई कम और बगावत ज्यादा करते है। प्यून के इन कथनों ने तो फिल्म के साथ-साथ नैना माथुर की जिंदगी की दिशा ही बदल दिया और फिर एक दुख मोड़ पर आकर फिल्म समाप्त होता है।

'हिचकी' का निर्देशन किया है सिद्धार्थ पी मल्होत्रा ने और निर्मिता है मनीष शर्मा। यह फिल्म हॉलीवुड फिल्म फ्रंट ऑफ द क्लास से प्रेरित है। फ्रंट ऑफ द क्लास में यह बताया गया था कि कैसे टॉरेट सिंड्रोम टीचर संघर्ष करती है। इस फिल्म में रानी मुखर्जी एक शिक्षिका की प्रमुख भूमिका है जो कि बार-बार 'हिचकी' लेती रहती है। आतीश के रूप में हर्ष मयूर, सुप्रिया पिल्गांवकर, कुणाल शिंदे, शिवकुमार सुब्रमण्यम, नीरज कबी, आसिफ बसरा, प्राचार्य के रूप में इवान रॉड्रिक्स और सुप्रियो बोस वरिष्ठ पुरुष शिक्षक के किरदार में है। 

  • निर्माता- मनीष शर्मा, आदित्य चोपड़ा
  • निर्देशित- सिद्धार्थ पी मल्होत्रा
  • पटकथा- अनकुर चौधरी, अंबर हदप, गणेश पंडित
  • संगीत- जसलिन रॉयल
  • कंपनी- यश राज फिल्म्स
  • रिलीज़ की तारीख- 23 फरवरी 2018


 


 


 


 


 


 




POPULAR POSTS